जनजातीय जीवनशैली पर आधारित ट्रायबल म्यूज्यिम जल्द लेगा मूर्तरूप


रायपुर । जनजातीय जीवन शैली पर आधारित ट्रायबल म्यूज्यिम जल्द ही मूर्तरूप लेगा। यह म्यूजियम, प्रदेश को जनजातीय परिदृश्य में देश में एक नया स्थान प्रदान करेगा। नया रायपुर स्थित आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान के परिसर में बनाए जा रहे, इस म्यूज्यिम का आदिम जाति कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव  सोनमणि बोरा ने 10 दिसम्बर तक पूर्ण करने के निर्देश दिए है।

आदिम जाति कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव सोनमणि बोरा ने रविवार को इस निर्माणाधीन म्यूज्यिम का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने कहा कि म्यूजियम में राज्य के सुदूर जनजातीय क्षेत्रों से जो भी बहुमूल्य आर्टिफेक्टस संकलित किए गए हैं, उन्हें साफ करके वुडन पेंट के माध्यम से दीमकरोधी किया जाए। उन्होंने सभी गैलरियों में आवश्यकतानुसार बांस एवं छिंद की सामग्री का प्रयोग करने के निर्देश दिए ताकि म्यूजियम में और अधिक जीवंतता लाई जा सके, इसके लिए धमतरी एवं गरियाबंद जिले के कुशल जनजातीय कारीगरों से भी मदद ली जाए। इस अवसर पर आदिम जाति कल्याण विभाग के सचिव सह आयुक्त नरेन्द्र कुमार दुग्गा, टीआरआई के संचालक पी.एस.एल्मा सहित निर्माण एजेंसी से जुड़े अधिकारी उपस्थित थे।

गौरतलब है कि दो मंजिला इस म्यूजियम में कुल 14 गैलरियां बनाई जा रही है। प्रथम गैलरी में छत्तीसगढ़ की जनजातीय परिचय, दूसरी गैलरी में जीवन संस्कार, तीसरी गैलरी में आवास एवं घरेलू उपकरण, चौथी गैलरी में शिकार उपकरण, पांचवीं गैलरी में वस्त्र आभूषण, छठवीं गैलरी में कृषि एवं कृषि उपकरणों को प्रदर्शित किया गया है। इसी प्रकार सातवीं गैलरी में पारंपरिक जनजातीय लोकनृत्य, आठवीं गैलरी में जनजातीय लोक वाद्ययंत्र, नौवीं गैलरी में धार्मिक जीवन, दसवीं गैलरी में जनजातीय तीज त्यौहार एवं अनुष्ठान, ग्यारहवीं गैलरी में पारंपरिक तकनीक, बारहवीं गैलरी में विशिष्ट सांस्कृतिक परंपरा, तेरहवीं गैलरी में आडियो वीडियो एवं फोटो गैलरी सह कार्यशाला तथा अंतिम चौदहवीं गैलरी में विशेष पिछड़ी जनजातियों से संबंधित अन्य जानकारी उकेरी जा रही है। इसके अलावा म्यूजियम में खूबसूरत सेल्फी प्वाइंट भी बनाया जा रहा है, जिससे यहां आने वाले आगंतुक इस यादगार पल को हमेशा के लिए अपनी यादों में संजो सके।


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