विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने क्रिकेट की भाषा में समझाई भारत की विदेश नीति

 


नई दिल्ली। आईसीसी चैम्पियंस ट्रॉफी 2025 की मेजबानी पाकिस्तान को मिली है. हालांकि ये टूर्नामेंट पाकिस्तान में होगा या नहीं इस पर सस्पेंस बरकरार है. भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड पहले ही साफ कर चुका है कि वो अपनी टीम को पाकिस्तान नहीं भेजेगा. अब चैम्पियंस ट्रॉफी के भविष्य पर इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) 29 नवंबर शुक्रवार को कोई बड़ा फैसला ले सकती है.

भारत-पाकिस्तान के बीच क्रिकेट के साथ ही राजनीतिक संबंध भी उतने अच्छे नहीं रहे हैं. अब भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पाकिस्तान के खिलाफ भारत की विदेश नीति को समझाने के लिए क्रिकेट का सहारा लिया है. पूर्व भारतीय क्रिकेटर  मोहिंदर अमरनाथ की आत्मकथा 'फियरलेस' के विमोचन के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में जयशंकर ने विदेश नीति पर बात की.

जयशंकर ने कहा, 'आपने कहा कि आप लोग उन्हें बेहतर खेल सके क्योंकि पारंपरिक साइड-ऑन पोजिशन की तुलना में आप ओपन-चेस्टेड पोजिशन पर आए. उस समय पाकिस्तान नीति के लिए मुझे इससे बेहतर वर्णन नहीं मिल सकता था. जयशंकर के कहने का मतलब यह था कि अब पहले जैसी बात नहीं रही है और पाकिस्तान के सामने भारत अब खुलकर खेलता है.'

केंद्रीय मंत्री ने क्रिकेट और भारत की विदेश नीति में आए बदलाव के बीच दिलचस्प समानताएं भी बताईं. जयशंकर ने साल 1983 में भारतीय टीम की वर्ल्ड कप जीत को टर्निंग पॉइंट बताया. जयशंकर ने कहा, 'यह सिर्फ निर्णायक मोड़ नहीं था, बल्कि उस निर्णायक मोड़ का मैन ऑफ द मैच था. एक समय पाकिस्तान ने जीत दर्ज की और एक समय श्रीलंका ने जीत दर्ज की.  लेकिन क्रिकेट के इतिहास में इतना बड़ा निर्णायक मोड़ कभी और नहीं आया. अगर आप 1983 के बाद विश्व क्रिकेट में भारत की भूमिका को देखें, तो यह मौलिक रूप से बदल गया.'

एस जयशंकर ने कहा कि विदेश नीति शतरंज की बजाय क्रिकेट की तरह है. विदेश मंत्री ने कहा, 'यह क्रिकेट की तरह है क्योंकि इसमें कई खिलाड़ी होते हैं. खेल की परिस्थितियां बदलती रहती हैं. घर पर खेलना और विदेश में खेलना बहुत अलग-अलग होता है. कई बार आप अंपायर की मर्जी पर निर्भर होते हैं. यह काफी हद तक मनोविज्ञान पर निर्भर करता है. दूसरी टीम को मात देने की कोशिश करना, उनके दिमाग में घुसने की कोशिश करना. हर बार जब आप मैदान में उतरते हैं, तो प्रतिस्पर्धा की भावना होती है.'

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