समंदर में भारत की ताकत बढ़ाएगा अमेरिका, दे रहा हथियार


नई दिल्ली। भारत की समुद्री ताकत बढ़ने वाली है. दरअसल, अमेरिका ने भारत को हाई एल्टीट्यूड एंटी-सबमरीन वारफेयर सोनोबॉय बेचने का फैसला किया है. इसकी कीमत 52.8 मिलियन अमेरिकी डॉलर है. सोनोबॉय में एयर-लॉन्च, एक्सपेंडेबल, इलेक्ट्रो-मैकेनिकल सेंसर हैं जिन्हें पानी के नीचे की आवाज को रिमोट प्रोसेसर तक रिले करने के लिए डिजाइन किया गया है. ये प्रभावी और किफायती है.

ये एक पोर्टेबल सोनार सिस्टम है, जिसके जरिए पानी में साउंड वेव्ज छोड़ी जाती हैं. अगर इसके रास्ते कोई पनडुब्बी, जहाज ठकराते हैं तो इसकी इको आती है. इससे भारत की एमएच-60आर हेलीकॉप्टरों से पनडुब्बी रोधी युद्ध संचालन करने की क्षमता में वृद्धि होगी. इससे वर्तमान और भविष्य के खतरों से निपटने की क्षमता में सुधार होगा.

रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी ने इस हफ्ते सीनेट की विदेश संबंध समिति को एक अधिसूचना में कहा, भारत को अपने सशस्त्र बलों में इस उपकरण को शामिल करने में कोई कठिनाई नहीं होगी. शस्त्र निर्यात नियंत्रण अधिनियम के अनुसार, कांग्रेस के पास बिक्री की समीक्षा करने के लिए 30 दिन हैं.

नोटिफिकेशन में क्या कहा गया?

अधिसूचना के अनुसार, भारत ने हाई एल्टीट्यूड एंटी-सबमरीन वारफेयर सोनोबॉय खरीदने का अनुरोध किया था. इस डील से अमेरिका-भारत रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने में मदद मिलेगी. अधिसूचना में कहा गया है कि हिंद-प्रशांत और दक्षिण एशिया क्षेत्रों में आर्थिक प्रगति होगी. 

23 अगस्त को अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने 52.8 मिलियन अमेरिकी डॉलर की अनुमानित लागत पर भारत को सोनोबॉय और संबंधित उपकरणों की विदेशी सैन्य बिक्री को मंजूरी दे दी थी.

राजनाथ सिंह के दौरे पर फाइनल हुई थी डील

भारत और अमेरिका के बीच ये डील रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के अमेरिकी दौरे के दौरान फाइनल हुई थी. राजनाथ सिंह पिछले महीने (अगस्त) अमेरिका के दौरे पर गए थे. उनका दौरा चार दिन का था.

सोनोबॉय क्या होते हैं?

भारत पहले से ही पी-8आई समुद्री निगरानी और पनडुब्बी रोधी युद्धक विमान से अमेरिकी सोनोबॉय का संचालन करता है. नई डील एमएच-60 रोमियो हेलीकॉप्टरों के लिए है, जो अमेरिका से खरीदे गए हैं. सोनोबॉय का उपयोग इन विमानों को पनडुब्बी रोधी युद्ध करने में अधिक शक्तिशाली बना देगा, क्योंकि इससे दुश्मन की पनडुब्बियों का पता लगाना आसान हो जाएगा.


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