भूतपूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की पुण्यतिथि पर परिचर्चा का आयोजन

भिलाई । देश के भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चंद्रशेखर की 17वीं पुण्यतिथि पर एक परिचर्चा का आयोजन सोमवार की सुबह जेपी प्रतिष्ठान एचएससीएल कॉलोनी रूआबांधा सेक्टर में किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ के पूर्व राज्यमंत्री बदरुद्दीन कुरैशी और आयोजक भारतरत्न लोकनायक जयप्रकाश नारायण स्मारक प्रतिष्ठान,  आचार्य नरेंद्र देव स्मृति जन अधिकार अभियान समिति और चंद्रशेखर फाउंडेशन के संयोजक आरपी शर्मा सहित समस्त लोगों ने स्व. चंद्रशेखर के चित्र पर माल्यार्पण कर अपने श्रद्धासुमन अर्पित किए। इस अवसर पर परिचर्चा का विषय '2024 के जनादेश का आशय' रखा गया था।

विषय प्रवर्तन और अतिथियों का स्वागत करते हुए आयोजक आर पी शर्मा ने कहा कि इस लोकसभा चुनाव में देश की जनता ने बताया दिया कि व्यवस्था तानाशाही से नहीं चलेगी और लोकतांत्रिक व्यवहार ही देश को आगे लेकर जाएगा। अपने उद्बोधन में मुख्य अतिथि पूर्व राज्यमंत्री बदरुद्दीन कुरैशी ने कहा कि स्व. चंद्रशेखर को युवा तुर्क यूं ही नहीं कहा जाता था बल्कि संसद और संसद के बाहर उनकी मुखरता ने उनकी अलग पहचान बनाई। कुरैशी ने कहा कि '2024 के जनादेश का आशय' यही है कि हम लोकतंत्र और संविधान का सम्मान करें।

इससे परे किसी तानाशाही व्यवस्था को थोपने का अंजाम लोकतंत्र के लिए घातक होगा। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र और संविधान के आसन्न खतरों से स्व. चंद्रशेखर ने भी आगाह कराया था और हमें सावधान रहना होगा। वरिष्ठ अधिवक्ता जमील अहमद ने कहा कि वरिष्ठ अधिवक्ता जमील अहमद ने कहा कि अल्पमत की सरकार होने के बावजूद चंद्रशेखर बेहद सजग रहे। संसद में उन्होंने जनकल्याण के लिए जो बातें कही आज भी प्रासंगिक है।

एचएससीएल के रिटायर कर्मी एसजे कुरैशी ने मौजूदा दौर में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर चिंता जताई। एसएससीएल के पूर्व कर्मी बीएन सिंह ने कहा कि जिनके हाथ में आज देश की बागडोर है वो लोग देश को आगे ले जाने के बजाए पीछे ले जा रहे हैं। आज स्व. चंद्रशेखर की तरह बहुत से मुखर वक्ताओं की संसद को जरूरत है। इस दौरान समाजवादी जनता पार्टी (चंद्रशेखर) के प्रदेश महासचिव नंदकिशोर साहू,सत्यनारायण गुप्ता, डीपी सिंह और अन्य लोग उपस्थित थे।

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