कोल माइंस क्षेत्र में टीबी मुक्त भारत के लिए फोकस करने की आवश्यकता है

 

अंबिकापुर । पम्पापुर क्षेत्र में जनप्रतिनिधियों का सहयोग से इस क्षेत्र के कुछ पंचायतों को टीबी मुक्त बनाया जा सकता है। यह क्षेत्र अन्य क्षेत्रों की तुलना में थोड़ा विकसित है । पिरामल फाऊंडेशन और स्वास्थ्य विभाग के औपचारिक चर्चा में महत्वपूर्ण तथ्य सामने आया। ओपीडी से टीबी के लिए रेफरल बढ़ाया जायेगा। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पम्पापुर के अन्तर्गत आने वाले क्षेत्र में अत्यधिक प्रदुषण देखा जाता है इस क्षेत्र में कोल माइंस की खदान महान टू और शक्कर फैक्टरी भी है जिससे अत्याधिक धुल-धकड़ उड़ते रहता है।

इस तथ्य पर ध्यान आकृष्ट कराते हुए राधे श्याम राजवाड़े (आरएचओ) ने सुझाव दिये की सम्बंधित पंचायतों में सघनता से सर्वेक्षण किया जाये तो टीबी के सम्भावित व्यक्ति मिल सकतें हैं। कोल माइंस और शक्कर फैक्टरी में कार्यरत व्यक्तियों का जांच अनिवार्य रूप से होना चाहिए। पिरामल फाऊंडेशन के जिला कार्यक्रम अधिकारी महेन्द्र तिवारी ने पम्पापुर डीएमसी के जनवरी से अबतक की टीबी जांच के आंकड़े का विश्लेषण करते हुए कुछ तथ्यात्मक तथ्य रखा। और जांच की संख्या बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा किया। 

लैब रजिस्टर के संख्यात्मक विश्लेषण में माह अनुसार टीबी के सम्भावित व्यक्तियों का जांच लक्ष्य से कम है जिसके लिए कोल माइंस एरिया में एक्टींव केश फाइंडिंग की गतिविधियों का आयोजन करने पर चर्चा हुआ। जिला कार्यक्रम समन्वयक राज नारायण द्विवेदी ने इस क्षेत्र की  केमिस्ट्री जानने की कोशिश किया लोगों का खान-पान, रहन-सहन, नशा-पानी का प्रयोग आदि। जो अन्य कोल माइंस क्षेत्र से थोड़ा भिन्न है। ज्यादातर लोगों आदिवासी समुदाय से आते हैं रोजगार के कमी नहीं है। पम्पापुर क्षेत्र के आर एच ओ राधे श्याम राजवाड़े का अध्ययन अच्छा है ग्रामीण क्षेत्रों के महत्वपूर्ण तथ्य पर अच्छी जानकारी है। इन्होंने कोल माइंस के उच्च अधिकारियों के साथ मिटींग कर कार्ययोजना बनाने की बातें कही

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