दुर्ग । कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी के मार्गदर्शन में जिले के विभिन्न क्षेत्रों में अंर्तराष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर विभिन्न पारंपरिक खेलों का आयोजन किया गया। युवोदय स्वयंसेवकों के द्वारा महिला एवं बाल विकास विभाग के सहयोग से ’परवरिश के चौंपियन (पालन पोषण चौंपियन) के तहत खेल के महत्व पर सभी आँगनबाड़ी केंद्रों में सत्र आयोजित किया गया। यनिसेफ इकाई दुर्ग के द्वारा आज जिला प्रशासन, समुदाय एवं पालकों के साथ संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित पहले अंर्तराष्ट्रीय खेल दिवस का आयोजन किया गया। यह वैश्विक अभियान बच्चों के समग्र विकास में खेल के महत्व को बताता है। इस आयोजन में आँगनबाड़ी केंद्र के बच्चों, पालकों एवं समुदाय के सहयोग से युवोदय स्वयं सेवकों के द्वारा विभिन्न खेल का आयोजन किया गया।
जिसमें मुख्य रूप से चिड़िया उड़, गोटा, बिल्लस, नदी पहाड़, नौ गोटिया, भौरा, कुढ़ील, बाघ-बकरी, पंजा लडाई, रेसटीप, भोटकुल, तिरी पासा, इंकी पिंकी व्हाट कलर, रस्सी कूद आदि खेलो का आयोजन किया गया। खेल में बच्चों के साथ पालकों के द्वारा भी विभिन्न खेलों में हिस्सेदारी ली गई। यूनिसेफ छत्तीसगढ़ की शिक्षा विशेषज्ञ छाया कुवर ने कहा कि, “खेल हर बच्चे का मौलिक अधिकार है। यह उनके संज्ञानात्मक, शारीरिक, सामाजिक, और भावनात्मक कल्याण में योगदान देता है। खेल बौद्धिक, सामाजिक, भावनात्मक और शारीरिक क्षेत्रों में सीखने के अवसर पैदा करता है।
खेल के माध्यम से बच्चे दूसरों से संबंध बनाते हैं, नेतृत्व कौशल में विकसित करते हैं, चुनौतियों का सामना करते हैं और अपने डरों को जीतते हैं।” यूनिसेफ छत्तीसगढ़ ने इस दिन को मनाने के लिए राज्य के चयनित जिलों में कई गतिविधियों का आयोजन किया है। स्कूल, ए.डब्ल्यू.सी. और सार्वजनिक स्थानों पर हंसी और आनंद का केंद्र बनाया जाएगा, जहां बच्चे विभिन्न स्थानीय खेलों और रचनात्मक गतिविधियों में भाग लेंगे। सामाजिक और व्यवहार परिवर्तन विशेषज्ञ यूनिसेफ छत्तीसगढ़ अभिषेक सिंह ने कहा “खेल बच्चों के जीवन में सृजनात्मकता, नवाचार, और नेतृत्व को बढ़ावा देता है। जब बच्चे खेलते हैं, तो वे आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते हैं।
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