रायपुर। राजधानी के सहकारी बैंक में फिक्स डिपॉजिट करने वालों के ब्याज में घोटाला हो गया है। बैंक के अकाउंटेंट और उसके सहयोगियों ने एफडी करने वाले ग्राहकों के खाते में निर्धारित ब्याज से ज्यादा पैसा जमा किया। फिर उसे गुपचुप तरीके से निकाल लिया। वर्ष 2017 से 2022 तक तीन आरोपियों ने 52 लाख रुपए बैंक से निकाले और निजी कार्य में खर्च किए।
लेकिन बैंक के ऑडिट रिपोर्ट में ये फर्जीवाड़ा पकड़ा गया। उसके बाद मौदहापारा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई। पुलिस ने सेवानिवृत अकाउंटेंट और उसके सहयोगी को गिरफ्तार किया है। एक आरोपी फरार है। तलाश की जा रही है।
पुलिस ने बताया कि जीई रोड में सहकारी केंद्रीय मर्यादित बैंक है। अमलीडीह निवासी अरुण बैसवाड़े अकाउंटेंट था। उसके साथ दो सहायक अकाउंटेंट संजय शर्मा और चंद्रशेखर डग्गर काम करते थे। तीनों फिक्स डिपॉजिट का काम देखते थे। तीनों ने 2017 से 2022 तक जिन लोगों ने एफडी कराया है, उनके खाते में निर्धारित दर से ज्यादा ब्याज जमा किया।
फिर उसे गुपचुप तरीके से निकालकर बांट लिए। बैंक ने ऑडिट कराया तो फर्जीवाड़ा सामने आया। तब तक अकाउंटेंट अरुण बैसवाड़े रिटायर हो चुके थे। बैंक ने तत्काल संजय और चंद्रशेखर को निलंबित कर दिया है। पुलिस ने अरुण और संजय को गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस शरद की तलाश कर रही है। पुलिस को शक है कि इस गड़बड़ी में बैंक के और कर्मचारी शामिल हो सकते हैं। पुलिस इसकी जांच कर रही है। जिन लोगों के एफडी हैं, उनके खातों की जानकारी निकाली जा रही है कि कितना-कितना ट्रांजेक्शन हुआ। खाते में कितना ब्याज आया। उसे किस खाते में ट्रांसफर किया गया। शक है कि आरोपियों ने अपने रिश्तेदारों के खाते में पैसों का ट्रांजेक्शन किया। पुलिस उसकी जानकारी निकाल रही है।
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