उत्तर प्रदेश की पीलीभीत लोकसभा सीट से सांसद और भारतीय जनता पार्टी के नेता वरुण गांधी को इस बार टिकट नहीं मिला है। इसके बाद ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि वह निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं। यह भी कहा जा रहा था कि वह समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनावी मैदान में उतर सकते हैं। हालांकि, अब इसे लेकर स्थिति एकदम साफ हो गई है। वरुण ने इस बार चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है। वह अपनी मां मेनका गांधी के लिए सुल्तानपुर में चुनाव प्रचार पर फोकस करेंगे।
बता दें कि वरुण गांधी ने नॉमिनेशन पत्र भी खरीदा था। इसके बाद चर्चाएं थी कि वह भारतीय जनता पार्टी से बगावत करके पीलीभीत से निर्दलीय लोकसभा का चुनाव लड़ सकते हैं। लेकिन उनकी टीम ने बयान जारी कर इन कयासो पर विराम कर दिया है। इससे पहले बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी भूपेंद्र सिंह ने वरुण गांधी के टिकट काटे जाने पर कहा था कि पार्टी ने उन्हें चुनाव लड़ने का मौका नहीं दिया है लेकिन वह हमारे साथ हैं। उनके बारे में बीजेपी ने कुछ अच्छा ही सोच के रखा होगा।
पीलीभीत सीट गांधी परिवार की परंपरागत सीट रही है। वरुण गांधी की मां मेनका गांधी इस सीट से 6 बार सांसद चुनी गईं, तो वहीं वरुण गांधी यहां से 2 बार सांसद चुने गए, यानी कि वह पिछले 10 सालों से इस सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। लेकिन बीजेपी ने इस बार वरुण की जगह जितिन प्रसाद को टिकट दिया है। वरुण को बीजेपी ने इस चुनाव दरकिनार क्या किया कि कांग्रेस इस मौके को भुनाने का कोई मौका नहीं छोड़ ही है। कांग्रेस पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने मंगलवार को वरुण गांधी को ऑफर दिया कि उनको कांग्रेस पार्टी के साथ आ जाना चाहिए। बीजेपी ने उन्हें इसलिए टिकट नहीं दिया है क्योंकि वह गांधी परिवार से संबंध रखते हैं।
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