पुरातत्व नगरी सिरपुर में एक विचार विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया । संगोष्ठी के दौरान रायपुर के वरिष्ठ इतिहासकार प्रो. डॉ. एस.एल. निगम, डॉ. रमेंद्रनाथ मिश्र और ग्राम सिरपुर निवासी प्रधान पाठक आदित्य सिंह ठाकुर ने संबंधित विषय पर अपने विचार रखे। इतिहासकारों ने संगोष्ठी में उपस्थित स्कूली बच्चों के सिरपुर और उससे जुड़ी इतिहास की जिज्ञासा और संबंधित प्रश्नों का समाधान भी किया। इस दौरान इतिहासकारों ने सिरपुर के वैभवशाली इतिहास के बारे में अपने विचार व्यक्त किए। इस संगोष्ठी का आयोजन सिरपुर के कांवरिया शेड मेला मैदान में किया गया। संगोष्ठी में इतिहास में रुचि रखने वाले स्कूल, कॉलेज सहित प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे प्रतिभागी उपस्थित थे।
संगोष्ठी के दौरान पुरातत्वविद डॉ.एल.एस. निगम ने कहा कि हम अपने पुरातात्विक चीजों को सहेज कर रखने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ शासन ने सिरपुर के ऐतिहासिक मन्दिर को बचा कर रखा है जो हम सभी के लिए गर्व का विषय है।
इतिहासकार डॉक्टर रमेंद्रनाथ मिश्र ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि पूर्व में दक्षिण कौशल में जो भी स्थापनाएं हुई वो आज पर्यटन के लिए प्रसिद्ध है। सिरपुर के माटी-माटी में भगवान निवास करते है। आरंग और सिरपुर में ताम्र-पत्र मिले जिसे हमने शासन की मदद से सहेज कर रखा है। उन्होंने कहा कि जन जागरण में युवाओं की जिम्मेदारी है विकास के लिए कार्य करें ताकि हम अपनी संस्कृति और पर्यटन क्षेत्रों को बचा पाएं और इसके लिए हमें खुद जिम्मेदारी उठानी होगी।
वक्ता आदित्य सिंह ठाकुर ने विचार में बताया कि छत्तीसगढ़ में कई ऐतिहासिक धरोहर है।उनमें सिरपुर सबसे प्राचीन व विश्व प्रसिद्ध है। अभी भी इस शानदार जगह में कई अनछुए पहलू हैं। प्राचीन काल में यहाँ घने जंगल थे, महानदी के इस तट पर मिट्टी के बड़े-बड़े टीले थे। जिनके नीचे लक्ष्मण देव मंदिर, बोध प्रतिमाएँ आदि प्राचीन मूर्तियाँ मिली।
संगोष्ठी के समापन के बाद अतिथियों और स्कूल, कॉलेज के छात्र-छात्राओं ने सिरपुर के ऐतिहासिक स्थल का अवलोकन किया। कलेक्टर निलेशकुमार क्षीरसागर ने अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट किए। आभार व्यक्त अपर कलेक्टर दुर्गेश कुमार वर्मा ने किया।
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