प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी सुराजी गांव योजना के तहत गांव-गांव में निर्मित गौठान ग्रामीण औद्योगिक केन्द्र (रीपा) के रूप में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान कर महिलाओं को स्वावलंबी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इन गौठानों में संचालित आजीविका गतिविधियों से ग्रामीणों को उनके गांव में ही रोजगार मिल रहा है और रोजगार मिलने से महिला समूह आर्थिक रूप से सशक्त होकर आगे बढ़ रही हैं। आज महिलाएं इन गौठानों के माध्यम से विभिन्न गतिविधियों से जुड़कर आत्मनिर्भर बन रही है।
प्रदेश के जशपुर विकासखंड के बालाछापर गौठान में रूरल इंडस्ट्रियल पार्क (रीपा) स्थापित कर ग्रामीणों और स्व-सहायता समूहों को ग्रामीण परिवेश के अनुकूल छोटे-छोटे व्यवसायों से जोड़ा गया है। इस रीपा गौठान में जहां गोबर से जैविक खाद बनाने के साथ ही विभिन्न गतिविधियां संचालित की जा रही हैं वहीं सामुदायिक बाड़ी, मोटर ड्राइविंग यूनिट, मुर्गी-बकरी पालन, तेल प्रसंस्करण यूनिट, आटा मिल, पॉपकोन मशीन, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, मेडिकल वेस्ट डिस्पोज सहित अन्य गतिविधियों के माध्यम से भी रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। गौठान से जुड़ी समूह की सभी महिलाओं द्वारा मल्टी एक्टिविटी के माध्यम से अब तक कुल 8 लाख 7 हजार 264 रूपए की आय अर्जित की गई है।
गोधन न्याय योजना के माध्यम से गौठान में पशुपालकों व किसानों से 2 रुपए प्रति किलो की दर से गोबर खरीदी की जा रही है, जिससे उन्हें अपने घर-परिवार की छोटी-बड़ी जरूरतें पूरी करने में मदद मिली। साथ ही रासायनिक उर्वरकों की कमी से निपटने में भी योजना से मदद मिली है एवं जैविक खेती को प्रोत्साहन भी मिला है। बालाछापर गौठान में गोधन न्याय योजना के तहत अब तक 811.35 क्विंटल गोबर की खरीदी की गई है। जैविक खाद निर्माण से जुड़ी कमल स्व सहायता समूह की महिलाओं ने बताया कि अब तक उनके द्वारा 115.80 क्विंटल जैविक खाद का उत्पादन एवं 113.10 क्विंटल खाद का विक्रय किया गया है। जिससे उन्हें लगभग 43 हजार की आय हुई है।
इसी प्रकार गौठान में मेडिकल वेस्ट निपटान हेतु महिलाओं को प्रशिक्षण प्रदान करने के साथ ही इंसीनरेटर मशीन स्थापित किया गया है। इस कार्य से जुड़ी राधारानी समूह की महिलाओं द्वारा जिला चिकित्सालय से निकलने वाले बायो मेडिकल कचरे का निपटान व डिस्पोज कर 4 लाख 20 हजार एवं स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के कार्य से 55 हजार की आमदनी प्राप्त की है। साथ ही राधारानी समूह की महिलाओं को पशुपालन विभाग द्वारा मुर्गी पालन के लिए कड़कनाथ, देशी मुर्गी व बायलर मुर्गी के चूजें भी प्रदान किए गए हैं। महिलाओं को मुर्गियों के उचित रखरखाव एवं बीमारियों से बचाव हेतु आवश्यक प्रशिक्षण भी प्रदान किया गया। महिला समूह द्वारा चूजों का नियमित देखभाल एवं समय से दाना-पानी खिलाने से चूजों का अच्छा विकास हुआ है। महिलाओं ने बताया कि उन्हें अब तक 450 नग मुर्गियों के विक्रय से 45 हजार की आय हुई है। साथ ही अभी उनके पास गौठान में कई नग चूजे, एवं कड़कनाथ, देशी सहित अन्य मुर्गी विक्रय के लिए उपलब्ध है। विकसित होने पर इनका स्थानीय बाजार में विक्रय किया जाएगा।
गौठान में मोटर ड्राइविंग प्रशिक्षण यूनिट का संचालन कर रही लक्ष्मी समूह को अब तक 1 लाख 41 हजार एवं पॉपकॉर्न उत्पादन से 8 हजार की आय हुई है। गोठान में तेल मिल का संचालन कर रही सखी स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा तेल पेराई, तेल व खरी के विक्रय कर 56 हजार 500 एवं आटा मिल से 12 हजार रुपए की आमदनी अर्जित कर चुकी है। सामुदायिक बाड़ी विकास का कार्य कर रही सहेली समूह को लगभग 47 हजार की आमदनी हुई है। उनके द्वारा गौठान में सामुदायिक बाड़ी विकसित कर लौकी, करेला भिंडी, बरबट्टी, टमाटर जैसी ताजी हरी सब्जियों का उत्पादन किया जा रहा है। गौठान में कार्यरत सभी समूह की महिलाओं का कहना है कि गौठान में संचालित आजीविका गतिविधियों के माध्यम से उन्हें रोजगार मिला है। जिससे वे अपने परिवार को आर्थिक मजबूती प्रदान करने में योगदान दे रही है। उन्होंने कहा कि प्रशासन द्वारा महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए विशेष रूप से कार्य किया जा रहा है। जिसका उन्हें सीधा लाभ मिल रहा है। महिलाओं ने कहा कि आज वे खुद आत्मनिर्भर बन रही है। परिवार के हर छोटे-बड़े के कार्य के लिए होने वाले खर्च में अपनी भी भागीदारी सुनिश्चित कर पा रही है। महिलाओं ने कहा कि गौठान को ग्रामीण औद्योगिक केन्द्र के रूप में विकसित कर उन्हें स्वावलंबी बनाया जा रहा है। यह अत्यंत सराहनीय कार्य है। सभी महिलाओं ने इस जनकल्याणकारी योजना संचालन के लिए छत्तीसगढ़ शासन एवं जिला प्रशासन को सहृदय धन्यवाद दिया।
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