बदल दी स्कूलों की तस्वीर, निजी स्कूलों को दे रहे टक्कर



 कोरबा। अध्यापक है युग निर्माता, छात्र राष्ट्र के भाग्य विधाता। यह यूक्ति वह सच्चाई है जो यह परिभाषित करता है कि राष्ट्र के भाग्य विधाता माने जाने वाले बच्चों को एक योग्य शिक्षक ही योग्य नागरिक बनाता है। आज भी ऐसे शिक्षक हैं जो बच्चों के साथ अभिभावकों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन हुए हैं। स्वयं की योग्यता पर गांव के स्कूलों की सूरत बदल दी है। शिक्षक पद की गरिमा को बनाए रखने के लिए अपने व्यक्तित्व को उसमें समाहित कर दिया है। शिक्षा को उसके नैतिकता, संस्कृति और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ बच्चों तक पहुंचाने में सतत प्रयासरत रहते हैं। प्रत्येक स्कूलों में शैक्षणिक गतिविधियों को मूर्त रूप देने वाले ऐसे शिक्षक का अवलोकन किए जाएं तो सही मायने में अशिक्षा का अंधकार पूरी तरह से मिट जाएगा। ऐसे ही कुछ शिक्षक हैं जिनका नाम राज्य स्तरीय श्रेष्ठ शिक्षक के लिए जिले से नामांकित हुआ है। पांच सितंबर को शिक्षक दिवस के अवसर पर राज्यपाल भवन रायपुर में राज्यपाल अनुसुइया उइके इन्हे सम्मानित करेंगी।

कुपोषण मुक्ति के साथ होती है शैक्षणिक सत्र की शुरूआत

कोरबा विकासखंड के ग्राम भटगांव में पदस्थ शिक्षक नोहर चंद्रा का नाम राज्य स्तरीय श्रेष्ठ शिक्षक पुरस्कार के लिए नामांकित हुआ है। जिस मापदंड के लिए उनका नाम इस पुरस्कार के लिए चयनित हुआ है उसमें श्रेष्ठ आकलन स्कूल को कुपोषण से मुक्ति दिलाना है। चंद्रा का कहना है कि स्वस्थ्य शरीर में स्वस्थ्य मस्तिष्क का वास होता है। इस वजह से शिक्षा सत्र की शुरूआत वे कुपोषण मुक्ति से करते हैं। बच्चों की दी जाने वाली मध्यान्ह भोजन व्यस्थित रखने के साथ इस बात का ध्यान रखा जाता है कि कोई भी बच्चा कुपोषण के कारण बीमार न हो। स्मार्ट क्लास की अवधारणा से यहां बच्चों की पढाई प्रोजेक्टर से होती है। खेल-खेल में पढ़ाई को मूर्त रूप देने के लिए दिवालों में गिनती, पहाड़ा, वर्णमाला आदि को लिखवाया गया है।

स्वच्छता की थीम पर स्कूल को दी नई पहचान

करतला विकासखंड के शासकीय उच्चत्तर माध्यमिक में पदस्थ शिक्षक राकेश कुमार टंडन का चयन बलदेव प्रसाद स्मृति में दिए जाने वाले राज्य स्तरीय सम्मान के लिए चयन हुआ है। समावेशी नवाचार के माध्यम से इन्होने स्कूल के नाम को जिले भर में रोशन किया है। इस नवाचार में सहेली कक्षा का निर्माण मुख्य है, जिसमें बालिकाओं को माहवारी के समय पढ़ाई में होने वाली असुविधा के लिए सहेलियों का सहयोग मिलता है। शाला परिसर में पौधारोपण को सुदृढ़कर आक्सीजोन को मूर्तरूप देना है। उन्होने स्कूल में साबुन बैंक की शुरूआत की है। इसमें किसी बच्चे का जन्म दिन आता है तो वह स्वेच्छा से एक साबुन दान करता है। इसका उपयोग भोजन से पहले हाथ धुलाई के लिए किया जाता है।

परीक्षा में शत प्रतिशत परिणाम मुख्य ध्येय

स्कूल में बच्चों का सर्वांगीण विकास के साथ शत प्रतिशत कक्षा उत्तीर्ण की अवधारणा को सफल करनें वीरभद्र सिंह पैकरा काफी हद तक सफल रहे हैं। उनका भी नाम राज्य स्तरीय श्रेष्ठ शिक्षक पुरस्कार के नामित हुआ है। वर्तमान में शासकीय उच्चत्तर माध्यमिक कोरबी धतूरा में बतौर प्राचार्य पदस्थ हैं। श्रेष्ठ परीक्षा परिणाम के अलावा पैकरा की उपलिब्ध बच्चों को स्काउट गाइड के लिए प्रेरित करने में रहेगी। अनुशासन को बच्चों के जीवन का अहम हिस्सा बनाने के लिए वे इसकी तैयारी स्कूल में स्वयं कराते है। बच्चों में वैज्ञानिक सोंच को बढ़ावा देने के लिए बाल विज्ञान का आयोजन भी अनुकरणीय पहल रही है। उनके कुशल नेतृत्व में स्कूल ने राज्य स्तरीय स्काउट गाइड का नेतृत्व किया है।

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