भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मंगलवार को दिल्ली पहुंच रहे हैं। इस दौरे को लेकर सियासी गलियारों में हलचल शुरू हो गई है और साथ ही इसके कई मायने में भी निकाले जा रहें हैं। पहले राष्ट्रीय अधक्षय जे पी नड्डा का दौरा, फिर गृह मंत्री अमित शाह का दौरा, उसके बाद सीएम शिवराज का संसदीय बोर्ड से बाहर होना। और अब बोर्ड से हट जाने के बाद शिवराज का राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा दिल्ली जाकर मुलाकात करना। इन सबको देख कर ऐसा माना जा रहा है कि आगामी 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश में कई बड़े बदलाव हो सकतें हैं।
दरअसल, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के मध्य प्रदेश दौरे के बाद से सत्ता और भाजपा संगठन में बदलाव की अटकले अब रफ्तार पकड़ने लगी है। 2023 विधानसभा चुनाव से पहले संगठन बड़ा बदलाव कर सकती है। ऐसे इसलिए भी माना जा रहा है क्योंकि नगरीय निकाय चुनाव के नतीजे ने भाजपा के लिए संतोषजनक नहीं रहें। जहां पिछले चुनाव में 16 की 16 में भाजपा का कब्जा था , लेकिन इस चुनाव में भाजपा को 7 सीटों पर हार का स्वाद चखना पड़ा।
वहीं शिवराज के दिल्ली दौरे को लेकर राजनैतिक गुरुओं का कहना है कि प्रदेश में जल्द ही कैबिनेट विस्तार हो सकता हैं। यहां फिलहाल मंत्रिमंडल में 4 पद रिक्त हैं। इसमें से तीन पद उपचुनाव में सिंधिया समर्थक तीन मंत्रियों इमरती देवी, गिर्राज दंडोतिया और रघुराज कंषाना के हारने के बाद से खाली हैं।
ऐसा भी माना जा रहा है कि यहां कुछ निगम-मंडलों में नियुक्तियां भी हो सकती हैं। साथ ही संगठन स्तर पर भी नियुक्तियां होंगी। जिसे लेकर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने हाल ही में संकेत दिए थे। उन्होंने कहा था कि स्थानीय निकाय चुनाव की समीक्षा की गई है। और अब परफार्मेस के आधार पर नियुक्तियां की जाएंगी।
बता दें कि भाजपा की कार्यशैली जिस ढंग की है उसमें अटकले हमेशा सटीक बैठे ऐसा भी नहीं। 2013 के विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा में हुआ घटनाक्रम इसकी मिसाल है। उस दौरान प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष प्रभात झा को भनक भी नहीं लगी थी और उन्हें अध्यक्ष पद से हटाकर नरेंद्र सिंह तोमर को अध्यक्ष बना दिया गया था। उस समय प्रभात झा ने खुद बयान दिया था कि उनकी विदाई पोखरण विस्फोट की तरह रही जिसकी भनक आखिरी दम तक उन्हें नहीं लगने दी गई।
भाजपा संगठन में बदलाव की सियासी हवा लंबे समय से मध्य प्रदेश में चल रही हैं। और इसकी वजह पार्टी में बढ़ती गुटबाजी मानी जा रही है। ऐसा कहा रहा है कि प्रदेश में नेतृत्व की तरफ से ही कार्यकर्ता को उस तरह का हौसला नहीं दिया जा रहा हैं जैसा देना चाहिए। पार्टी का कार्यकर्ता ही अब मेहनत नहीं करना चाहता क्योंकि वो अब पद ना मिलने से भी नाराज है।
लेकिन इन सब अटकलों के बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संकेत दिए थे कि मैं फिर कह रहा हूं कि मध्य प्रदेश मेरा मंदिर है। और उसमें रहने वाली जनता मेरी भगवान है और मैं पुजारी। कोई चिंता मत करना, मामा अभी है। और हम सभी मिल-जुलकर हम साथ बढ़ेंगे। तो ऐसे में ये भी लगता है कि वे खुद प्रदेश छोड़कर कहीं नहीं जाना चाहते।
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