राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया रामानुजाचार्य की स्वर्ण प्रतिमा का अनावरण, कहा- स्वामी जी ने दक्षिण की भक्ति परंपरा को बौद्धिक आधार दिया

 


राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) ने रविवार को रामानुजाचार्य जी की स्वर्ण प्रतिमा का अनावरण किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि रामानुजाचार्य जी की प्रतिमा का अनावरण करना मेरा परम सौभाग्य है. राष्ट्रपति ने कहा कि इस देश में रामानुजाचार्य जी की भव्य प्रतिमा को स्थापित कर चिन्ना जीयर स्वामी ने इतिहास रचा है. भारत के गौरवशाली इतिहास में भक्ति और समता के सबसे महान ध्वजवाहक भगवत श्री रामानुजाचार्य सहस्राब्दी स्मृति महामहोत्सव के शुभअवसर पर सभी देशवासियों को हार्दिक बधाई देता हूं. इस समारोह में भाग लेना और रामानुजाचार्य जी की स्वर्णिम प्रतिमा का अनावरण करना मेरे लिए परम सौभाग्य का विषय है. 


राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि विगत 5 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वसंत पंचमी के दिन श्री रामानुजाचार्य जी की भव्य समता मूर्ति का लोकार्पण किया था.


राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा, ‘स्वामी जी की प्रतिमा से इस क्षेत्र में विशेष अध्यात्मिक ऊर्जा का सदैव संचार होता रहेगा. यह एक दैवीय संयोग है कि इस क्षेत्र का नाम राम नगर है. यह क्षेत्र भक्ति भूमि है.’ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा, ‘तेलंगाना की हर यात्रा मेरे लिए महत्व रखती है. लेकिन आज की इस यात्रा के दौरान देश की आध्यात्मिक, सामाजिक परंपरा के महान अध्याय से जुड़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है. 100 वर्ष की आयु तक सक्रिय रहने का सुसंकल्प श्री रामानुजाचार्य के जीवन में सार्थक हुआ था. 100 वर्षों से अधिक अपनी जीवन यात्रा के दौरान स्वामी जी ने आध्यात्मिक और सामाजिक स्वरूप को वैभव प्रदान किया.’


उन्होंने कहा, ‘लोगों में भक्ति और समानता का संदेश प्रसारित करने के लिए श्री रामानुजाचार्य ने श्री रंगम कांचीपुरम, तिरुपति, सिघांचलम और आंध्र प्रदेश के अन्य क्षेत्रों के साथ बद्रीनाथ, नैमशारण्य, द्वारिका, प्रयाग, मथुरा, अयोध्या, गया, पुष्कर और नेपाल तक की यात्रा की. श्री रामानुजाचार्य ने दक्षिण की भक्ति परंपरा को बौद्धिक आधार प्रदान किया है.’ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा, ‘यह भव्य और विशाल प्रतिमा पंच धातु से निर्मित एक मूर्ति मात्र नहीं है. यह प्रतिमा भारत की संत परंपरा का मूर्तिमान स्वरूप है. यह प्रतिमा भारत के समता मूलक समाज के स्वप्न का मूर्तिमान स्वरूप है.’ बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां पांच फरवरी को, 11वीं सदी के संत श्री रामानुजाचार्य की 216 फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया था जिसे ‘स्टैच्यू ऑफ इक्वालिटी’ कहा जाता है.


वैष्णव परंपरा में सबके कल्याण के लिए काम करने को सर्वाधिक महत्व दिया गया है-कोविंद

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा, ‘वैष्णव परंपरा में लोक संग्रह अर्थात सबके कल्याण के लिए काम करने को सर्वाधिक महत्व दिया गया है. मैं चाहूंगा कि जिस निष्ठा के साथ आप सबने इस मूर्ति का निर्माण किया है, उसी भावना के साथ आप सब नर-नारयणी की सेवा तथा कल्याण हेतु देशव्यापी योजनाओं की परिकल्पना करें. मुझे विश्वास है कि इस संस्था द्वारा लोक कल्याण के प्रभावशाली कार्य किए जा रहे हैं और आगे भी किए जाएंगे. ऐसे कामों से समता मूलक समाज के हमारे राष्ट्रीय प्रयासों को बल मिलेगा.


पंचधातु’ से बनी है यह प्रतिमा

यह प्रतिमा ‘पंचधातु’ से बनी है जिसमें सोना, चांदी, तांबा, पीतल और जस्ता का एक संयोजन है और यह दुनिया में बैठी अवस्था में सबसे ऊंची धातु की प्रतिमाओं में से एक है. यह 54-फुट ऊंचे आधार भवन पर स्थापित है, जिसका नाम ‘भद्र वेदी’ है. इस परिसर में वैदिक डिजिटल पुस्तकालय और अनुसंधान केंद्र, प्राचीन भारतीय ग्रंथ, एक थिएटर, एक शैक्षिक दीर्घा हैं, जो संत रामानुजाचार्य के कई कार्यों की याद दिलाते हैं.


बता दें कि श्री रामानुजाचार्य सहस्राब्दी समारोह का आज बारहवां दिन था. आज श्री श्री श्री त्रिदंडी चिन्नाजियार स्वामीजी ने 21 मंदिरों में मूर्तियों का प्राणप्रतिष्ठा, कुम्भाभिषेक, महा संप्रोक्षण किया. इस कार्यक्रम में होम ग्रुप कंपनियों के चेयरमैन डॉक्टर जुपल्ली रामेश्वर राव ने भाग लिया. वहीं, टीटीडी के अध्यक्ष वाईवी सुब्बारेड्डी ने तिरुमाला क्षेत्र प्राणप्रतिष्ठा कार्यक्रम में मौजूद रहे. इस महीने की 7 तारीख को 32 मंदिरों, 10 तारीख को 36 मंदिरों , 11 तारीख को 19 मंदिरों और आज 21 मंदिरों का प्राणप्रतिष्ठा किया गया.


आज 21 मंदिरों के हुए प्राणप्रतिष्ठा

आज प्राणप्रतिष्ठा हुए 21 मंदिरों में थिरुमाला, द्वारका, थिरुक्कोवालुर, थिरुथंगा, थिरुप्पडगम, थिरु उरागम, थिरुक्करवनम, थिरुक्कलवनूर, परमेश्वर विन्नगरम, निंद्रपुर, तिरुवल्लिकेनी, थिरुक्कडिगई, शिंगवेलकुनराम, नैमिषारण्यम, सालग्राम, बद्रीकाश्रम, कंडमेनरम काडिनगर, वडामधुरई, थिरुवयपडी , अलवर सन्निधि शामिल हैं.


PM मोदी ने ‘स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी’ प्रतिमा का अनावरण कर इसे राष्ट्र को समर्पित किया था

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 फरवरी को 11वीं सदी के वैष्णव संत श्री रामानुजाचार्य की स्मृति में यहां 216 फुट ऊंची ‘स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी’ प्रतिमा का अनावरण कर इसे राष्ट्र को समर्पित किया था. रामानुजाचार्य ने राष्ट्रीयता, लिंग, नस्ल, जाति या पंथ की परवाह किए बिना हर इंसान की भावना के साथ लोगों के उत्थान के लिए अथक प्रयास किया था. उन्होंने श्री रामानुजाचार्य को भारत की एकता और अखंडता की प्रेरणा करार देते हुए कहा कि उनका जन्म भले ही देश के दक्षिणी हिस्से में हुआ हो लेकिन उनका प्रभाव पूरे भारत पर है.

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