शासन पशुपालकों को उद्यमिता की ओर अग्रसर करने के लिए नित नई योजनाएं संचालित कर रही है। जिसके माध्यम से सामान्य पशुपालक भी अब शासन की योजनाओं का लाभ उठाकर उद्यम विकसित कर रोजगार सृजित कर लाभान्वित हो रहे है। जिससे उनके जीवन स्तर में अभूतपूर्ण बदलाव देखने को मिल रहा है। वही शासन की योजनाएं भी धरातल पर फलीभूत हो रही है।
विकासखंड सारंगढ़ के ग्राम तिलाईपाली निवासी पशुपालक श्री कमल पटेल को पूर्व से पशुपालन में लगाव था। जिसके बाद उन्हें डेयरी इकाई संचालन में रूचि जागृत हुई। जिसके लिए उन्होंने पशुधन विकास विभाग में क्रियान्वित की जाने वाली राज्य डेयरी उद्यमिता विकास योजना की जानकारी प्राप्त हुई। इसके पश्चात श्री पटेल द्वारा पशु चिकित्सालय सारंगढ़ में पशु चिकित्सा शल्यज्ञ से संपर्क कर बैंक से 12 लाख ऋण हेतु आवेदन किया। ऋण स्वीकृति के उपरांत प्राप्त राशि से वर्ष 2018-19 में श्री पटेल ने डेयरी इकाई की स्थापना की। बैंक से प्राप्त राशि से श्री पटेल ने पहले 14 एच.एफ. क्रास गाय एवं 01 जर्सी क्रास गाय का क्रय किया। इसके साथ ही पशुओं के लिए शेड निर्माण कर, जल व्यवस्था एवं वर्मी कम्पोस्ट टैंक का भी निर्माण कराया। इस प्रकार सभी प्रकार की मूलभूत सुविधाओं को विकसित कर श्री पटेल द्वारा डेयरी इकाई का व्यवसाय को मूर्त रूप दिया गया। जिसमें कार्यालय उप संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं, रायगढ़ द्वारा श्री पटेल को डेयरी इकाई स्थापना के लिए 5 लाख 99 हजार रुपये का अनुदान राशि प्रदाय की गई। डेयरी इकाई के स्थापना के प्रारंभिक दौर में लगभग 90-100 लीटर तक दूध का उत्पादन होता था। जिसका विक्रय से श्री पटेल को अच्छी आय अर्जित होती थी। विभागीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों के मार्गदर्शन मेें श्री पटेल ने पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान करवाया, जिससे श्री पटेल के डेयरी में आज में 21 गायें व 15 बछड़े-बछिया हैं। जिससे वर्तमान में लगभग 115-120 लीटर दुग्ध उत्पादन होता है, जिससे प्रतिवर्ष लगभग 4 लाख 50 हजार रूपए आय प्राप्त होती है। इसके साथ ही गांव के अन्य घरों से दुग्ध संकलन का कार्य भी किया जाता है। डेयरी उद्यमिता से श्री पटेल का परिवार खुशहाल हो चुका है। श्री पटेल पशुधन विकास विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के संपर्क में रहते हुए डेयरी के नए तकनीकों की जानकारी प्राप्त कर डेयरी व्यवसाय को विकसित करने में कार्य करते है। जिससे श्री पटेल आज अन्य पशुपालकों के लिए प्रेरणास्त्रोत भी बन चुके है।
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