नवा छत्तीसगढ़ के 36 माह , महिलाओं ने मेहनत कर उगा दी साढ़े पांच क्विंटल सब्जी,गौठान में निःशुल्क मिला खेत, बीज, पानी



’’पंखो से कुछ नहीं होता, हौसलो से उड़ान होती है’’ - बहुत पहले किसी कवि की लिखी इस कविता को पोड़ी-उपरोड़ा विकासखण्ड के सूर्या स्वसहायता समूह की महिलाओं ने अपनी मेहनत और हौसले सही साबित कर दिया है। इसमें उनकी भरपूर मदद राज्य सरकार की नरवा-गरवा-घुरवा-बाड़ी योजना ने की है। पोड़ी-उपरोड़ा विकासखण्ड के कापूबहरा ग्राम पंचायत की इन महिलाओं ने सुराजी गांव योजना के तहत बने गौठान के चारागाह में सब्जी की खेती कर एक सीजन में ही 17 हजार रूपए से अधिक का मुनाफा अर्जित किया है। इस समूह की 10 महिलाएं गौठान के चारागाह में सब्जी उत्पादन में लगी हैं। गौठान के चारागाह में अभी भी एक एकड़ से अधिक रकबे में सब्जी लगी है और हर दिन महिलाएं सब्जी की तुड़ाई कर स्थानीय बाजार और गांव में बेच रही हैं।

सूर्या स्वसहायता समूह की अध्यक्ष मोहनी बाई पटेल ने बताया कि पहले घर-परिवार के काम में ही लगे रहते थे। घर बाड़ी में अपने उपयोग के लिए थोड़ी बहुत सब्जी-भाजी लगा लेते थे। उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों ने कापूबहरा गौठान में सब्जी की खेती के लिए समूह तैयार करने संपर्क किया। गांव की दस महिलाओं को मिलाकर सूर्या स्वसहायता समूह बनाया गया और गौठान में चारागाह वाली ज़मीन पर सब्जी की खेती के लिए मदद की गई। श्रीमती मोहनी बताती हैं कि गौठान में सब्जी लगाने के लिए निःशुल्क खेत मिल गया, उद्यानिकी विभाग द्वारा सब्जी के बीज भी मुफ्त में दिए गए। गौठान के चारों ओर मवेशियों से सुरक्षा के लिए फेंसिंग भी कराई गई है। गौठान के नलकूप से सिंचाई की सुविधा मिली और विभागीय अधिकारियों ने सब्जी की खेती के उन्नत तरीके बताए। महिलाओं ने अच्छी मेहनत की और पहले सीजन में बरबट्टी, बैंगन, गंवार फली एवं मूली की खेती की। उचित देखभाल के बाद समूह ने लगभग छह क्विंटल सब्जी का उत्पादन किया। इस सब्जी को स्थानीय बाजार में बेचा गया। गोबर की खाद का उपयोग कर सब्जी उगाने से इसकी कीमत भी अच्छी मिली। कटघोरा के थोक व्यापारियों ने भी सब्जी खरीदने के लिए सम्पर्क किया और गौठान से ही सब्जी को खरीदकर समय पर भुगतान भी किया। समूह की महिलाएं बताती हैं कि सब्जी बेचकर ही एक सीजन में 18 हजार रूपए का मुनाफा कमाया है। अब कारोबार को आगे बढ़ाने के लिए चारागाह की जमीन पर अमरूद, नींबू, काजू और दूसरे फलदार वृक्षों का भी दो एकड़ रकबे में रोपण किया गया है। श्रीमती मोहनी ने बताया कि समूह की महिलाओं ने आधे एकड़ में उन्नत किस्म के 500 नींबू के पेड़ लगाए हैं। इनसे उत्पादन शुरू होते ही एक सीजन में एक से डेढ़ लाख रूपए की अतिरिक्त आमदनी समूह को होगी। चारे की फसल के साथ ही फलदार वृक्ष भी बढ़ेंगे और अगले एक वर्ष में इनसे भी फल लगने पर अतिरिक्त मुनाफा होगा। अभी इन महिलाओं द्वारा एक एकड़ रकबे में सब्जी का उत्पादन किया जा रहा है। आगामी दिनों में गौठान में सिंचाई आदि की सुविधाओं और महिलाओं की मेहनत तथा लगन को देखते हुए बड़े पैमाने पर आलू और मिर्ची की खेती की तैयारी की जा रही है।

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