उद्यानिकी को बढ़ावा और कृषकों को लाभ पहुंचाने में शाकम्भरी बोर्ड बनेगा सहभागी: अध्यक्ष रामकुमार पटेल



रायपुर,  छत्तीसगढ़ राज्य शाकम्भरी बोर्ड के नवनियुक्त अध्यक्ष  रामकुमार पटेल ने आज यहां उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों की बैठक लेकर विभागीय योजनाओं एवं कार्यक्रमों की प्रगति की जानकारी ली। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप शाकम्भरी बोर्ड राज्य में उद्यानिकी फसलों की खेती के विस्तार तथा ज्यादा से ज्यादा किसानों को विभागीय योजनाओं एवं कार्यक्रमों से जोड़कर उन्हें इसका लाभ पहुंचाने के लिए अपनी सहभागिता निभाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य की भौगोलिक परिस्थिति एवं जलवायु उद्यानिकी फसलों की खेती के लिए बेहद उपयुक्त है। हम सबका यह प्रयास होगा कि राज्य के उत्तरी अंचल के संभाग सरगुजा सहित दक्षिण क्षेत्र के संभाग बस्तर में वहां की जलवायु के अनुकूल उद्यानिकी फसलों की खेती के लिए किसानों को प्रेरित, प्रोत्साहित एवं प्रशिक्षित करने के साथ ही उन्हें विभाग की ओर से आवश्यक मदद दें, ताकि उनकी माली स्थिति बेहतर हो सके। बैठक में शाकम्भरी बोर्ड के नव नियुक्त सदस्यगण भी मौजूद थे।


बैठक के प्रारंभ में उद्यानिकी संचालक  माथेश्वरन वी. ने विभाग द्वारा संचालित राज्य पोषित योजना, एकीकृत उद्यानिकी विकास मिशन, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, प्रधानमंत्री कृषि विकास योजना, परंपरागत कृषि विकास योजना, नेशनल फूड सिक्योरिटी मिशन, पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना, सब मिशन ऑन एग्रो फॉरेस्ट्री एवं पुनर्गठित राष्ट्रीय बांस मिशन के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। बैठक में योजनाओं के अंतर्गत लागत प्रावधान तथा अन्य बदलाव की आवश्यकता को लेकर भी विस्तार से चर्चा की गई। बैठक में टिशू कल्चर यूनिट की स्थापना की चर्चा करते हुए उद्यानिकी संचालक ने बताया कि राज्य में कुल 7 यूनिट स्थापित है, जो राज्य के लिए बड़ी उपलब्धि है और कृषक इसका लाभ प्राप्त कर अच्छी आमदनी कमा रहे हैं। टिशू कल्चर पद्धति से तैयार पौधे से केले की खेती पर कृषक एक एकड़ से एक लाख की आमदनी प्राप्त कर सकते है। इसी तरह गेंदा की खेती से भी 70 हजार रूपए से लेकर एक लाख रूपए तक की आमदनी प्रति एकड़ प्राप्त की जा सकती है।


अपर संचालक  भूपेंद्र कुमार पांडेय ने बताया की छोटे किसान जिसके पास खेती के लिए ज्यादा जगह नहीं है, वह मशरूम की खेती एक कमरे में ही करके अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते है। उन्होंने छुईखदान के युवा किसान पवन जंघेल, का उदाहरण देते हुए कहा कि वह मशरूम की खेती कर प्रतिदिन 100 किलो मशरूम का उत्पादन एवं अच्छा मुनाफा प्राप्त कर रहा है। मधुमक्खी पालन को भी बढ़ावा देने की चर्चा बैठक में की गई। बैठक में जानकारी दी गई कि बलरामपुर में मधुमक्खी पालन कर महिला स्व-सहायता समूह द्वारा 45 दिनों में 90 किलो शहद प्राप्त कर अच्छा मुनाफा कमाया गया है।


उप संचालक उद्यान  मनोज कुमार अम्बष्ट ने बाड़ी विकास कार्यक्रम  के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि योजना प्रारंभ होने से अब तक की स्थिति में सामुदायिक बाड़ी योजना से जुड़े कृषक एक करोड़ 33 लाख रूपए का लाभ अर्जित कर चुके है। राज्य में कुल 945 सामुदायिक बाड़ी 545.7 हेक्टेयर के रकबे में स्थापित है, जिससे लगभग 10 हजार कृषक जुड़े हुए है। राज्य में बाड़ी की संख्या एक लाख तक बढ़ाने का लक्ष्य है। बैठक में शाकम्भरी बोर्ड के सदस्य  दुखुवा पटेल,  हरी पटेल,  अनुराग पटेल एवं  पवन पटेल ने अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि सामुदायिक फेंसिंग योजना कृषकों के लिए काफी लाभप्रद रहेगी। सदस्य  अनुराग पटेल ने कहा कि उद्यानिकी पौधों की विलुप्त होती प्रजातियों को भी संरक्षित करने की जरूरत है।

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