प्रियंका मिश्रा का कहना है की दिवंगत पंचायत शिक्षक के 935 आश्रित परिवार को विगत 16 सालों से अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी गई अनेकों बार नियुक्ति के लिए उन्होंने मांग किया समय-समय पर सत्ता पर बैठी पार्टियों को लगातार संपर्क करते रहे उनसे अपने अधिकार की बात करते रहे लेकिन किसी ने इस पर संज्ञान नहीं लिया स्थिति ऐसी हो गई है कि यह आश्रित परिवार निराश्रित हो चुका है इनके आगे पीछे कोई नहीं है इनका घर परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है इनके घर में दाने दाने के लाले पड़ गए हैं बच्चों की शिक्षा नहीं हो पा रही है आप इस समस्या से यह महिलाएं इतनी परेशान है कि आज महिलाएं सड़क पर उतर गई हैं और आज तेरा 14 दिन हो चुके हैं अभी तक सरकार का कोई भी जवाबदार व्यक्ति आ करके महिलाओं की समस्या को सुनने के लिए तैयार नहीं है यह महिलाएं 24 घंटे उसी पेड़ के नीचे बैठी रहती है इतनी बरसात में उनके आंदोलन को चलने के लिए बार-बार ऐसे रणनीतियां बनाई जाती है सरकार के द्वारा जिससे वह निराश हो जाए लेकिन नारी शक्ति जिंदाबाद थी है और रहेगी यह शक्तियां पीछे हटने वालों में से नहीं है अपने अधिकार की लड़ाई लड़ रही है और इस पर इनको जीत मिलेगी इस तरह से आंदोलनकारी महिलाओं का कहना है आज उन्होंने फांसी लगाई और विरोध दर्ज किया पर सरकार का कोई भी नुमाइंदा जाना और बात करना उचित नहीं समझ रहा है
अनु सिंह ने इस बात पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि विगत 70 वर्षों में सिर्फ महिलाओं का शोषण हुआ है हमेशा महिलाओं की आवाज को दबाया गया है लेकिन अब यह 21वीं सदी का भारत है यहां महिलाओं को अब दबाया नहीं जा सकता हम सभी महिलाएं एक हैं और अगर भूपेश सरकार इन महिलाओं को अधिकार नहीं देती इनकी तत्काल नियुक्तियां नहीं करती तो कहीं ऐसा ना हो जाए कि यह लड़ाई दिल्ली जाकर लेनी पड़ी तो हम दिल्ली जाने के लिए भी तैयार बैठे हुए हैं लेकिन महिलाओं के साथ कोई भी नाइंसाफी नहीं होने देंगे
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