सड़क किनारे छोटी सी दुकान लगाकर सब्जी बेचने वाली बीजापुर की हिरोंदी बाई आज खुश है। उसकी खुशी की सबसे बड़ी वजह है कि उसके पास अब अपना पक्का मकान है। उसके पति का भी यहीं सपना था कि मिट्टी का घर और खपरैल छतों से छुटकारा मिल जाए तो बारिश के दिनों में परेशानी नहीं उठानी पडे़़गी। हिरोंदी बाई के पति अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उनके सपनों के घर में रह रहीं हिरोंदी बाई को लगता है कि अब जब वह पक्के मकान में रह रही है तो उनके पति की आत्मा भी जरूर खुश होगी। कोरिया जिले के बैकुण्ठपुर की रहने वाले बालकुंवर विश्वकर्मा ने भी कभी पति के साथ पक्के घर का सपना बुना था, लेकिन पति के जीते-जी यह सपना पूरा नहीं हो पाया। उनका सपना था कि उनकी पत्नी और बच्चे पक्के मकान में रहें।
अब भले ही वह अपने बच्चों, बहू और नाती के साथ रहती है, लेकिन
अपने पति के पूरे हुए सपनों पर उसे अपार खुशी है। हिरोंदी बाई हो या बालकुंवर इन
दोनों की कडु़वाहट भरी जिंदगी को खुशियों में बदलने वाला कोई और नहीं, छत्तीसगढ़
की सरकार ही है, जिसने मुसीबत के समय मदद की और इनके सपनों को पूरा कर इन
गरीबों के चेहरे में मुस्कान लाई।
अपने पति की मौत के बाद कच्चे मकान में रह रही बीजापुर की हिरोंदी
बाई कश्यप और बैकुण्ठपुर की बालकुंवर को मोर जमीन-मोर मकान के तहत पक्का मकान मिला
है। राजनांदगांव की सोनबती साहू को भी मकान मिल गया है, जिससे
उनका बिखरा हुआ परिवार संयुक्त हो गया है। इन सभी को अपने पुराने मिट्टी के घर के
बदले इनकी ही जमीन में पक्का मकान मिला है। प्रदेश में शहरी क्षेत्र के ऐसे हजारों
गरीब परिवार प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी अंतर्गत छत्तीसगढ़ सरकार की समावेशी मॉडल
से लाभान्वित हो रहे हैं। बेघरों को समय पर पक्का मकान बनाकर उन्हें घर की चाबी
देने वाली सरकार की बदौलत नए घर में जहां गरीबों का मान-सम्मान बढ़ रहा है, वहीं
मोर जमीन-मोर मकान के हितग्राहियों को सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने, अन्य
योजनाओं का समावेश कर उनके सफल क्रियान्वयन के लिए भारत सरकार द्वारा भी ”बेस्ट
कन्वर्जेंस विथ अदर मिशन“ की श्रेणी में छत्तीसगढ़ राज्य को उत्तम प्रदर्शन करने हेतु
पुरस्कृत किया गया है।
नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ शिवकुमार डहरिया के नेतृत्व में शहरी
क्षेत्र के गरीबों के उन्नयन और उन्हें बेहतर सुविधा प्रदान करने की दिशा में
लगातार कार्य किए जा रहे है, जिसका परिणाम रहा कि छत्तीसगढ़ राज्य को तीन श्रेणियों में
भारत सरकार द्वारा पुरस्कृत किया गया है।
75 हजार शहरी परिवारों को मिला आवास
नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा लगभग सभी योजनाओं में गरीबों को
प्राथमिकता दी गई है। भूमिहीन व्यक्तियों को भूमि धारण का अधिकार प्रदान करने हेतु
अधिनियम लाया गया है। 19 नवंबर 2018
के पूर्व काबिज कब्जा धारकों को भू-स्वामित्व
अधिकार प्रदान की व्यवस्था की गई है। इसमें ऐसे व्यक्ति भी लाभान्वित होंगे
जिन्हें पूर्व में पट्टा प्रदान किया गया था परंतु नवीनीकरण प्रावधानों के अभाव
में वह भूमि का उपभोग नहीं कर पा रहे थे। इस निर्णय में राज्य के लगभग दो लाख से
अधिक शहरी गरीब परिवार सीधे लाभान्वित होंगे तथा उन्हें ‘मोर
जमीन मोर मकान‘ योजना में 2.5
लाख तक वित्तीय सहायता प्रदान भी किया जा रहा
है। मोर जमीन मोर मकान योजना से गरीबों को जोड़कर हितग्राहियों को लाभान्वित किया
जा रहा है। प्रदेश में इस योजना से अभी तक 75 हजार हितग्राहियों का आवास पूर्ण
हो गया है।
शीघ्र आवास निर्माण और नवाचार की
दिशा में उठाएं गए कदम
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व और नगरीय प्रशासन मंत्री
डॉ. डहरिया की पहल से आवास निर्माण हेतु कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। नगरीय
क्षेत्रों के भूमिहीन व्यक्तियों को पट्टा वितरण, आबादी भूमि
के हितग्राहियों को पात्र हितग्राही प्रमाण-पत्र का वितरण, कम
समय अवधि में हितग्राहियों को किश्त प्राप्ति एवं आवश्यकता अनुरुप आसान किश्तों की
व्यवस्था की गई है। सामाजिक, आर्थिक रूप से पिछड़े समुदायों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से
शासन ने स्पेशल प्रोजेक्ट की शुरुआत की है, जिससे ये समुदाय अब विकास की मुख्य
धारा से जुड़ कर प्रगति की राह पर आगे बढ़ चले हैं। इसके साथ ही निकायों के बीच
स्वस्थ्य प्रतिस्पर्धा कराने एवं निर्माण कार्य को शीघ्रता से पूर्ण करने हेतु
राज्य स्तरीय मोर प्रदर्शन-मोर सम्मान प्रतियोगिता का आयोजन कराया गया, जिसके
परिणाम स्वरूप आवास निर्माण के कार्य अति शीघ्र पूर्ण हुए। मंत्री डॉ. डहरिया, विभागीय
सचिव एवं अधिकारियों द्वारा नियमित निरीक्षण किए गए। कार्यों की नियमित रूप से
ऑनलाइन मॉनिटरिंग भी की गई। जन जागरूकता हेतु स्वच्छ भारत मिशन के साथ संयुक्त रूप
से व्यापक स्तर पर प्रचार प्रसार किया गया। राज्य शासन ने हितग्राहियों की
सुविधाओं को प्रमुखता देते हुए आवास योजना अन्तर्गत 827 परियोजनाओं
में अन्य योजनाओं का समावेश किया, जिसका सबसे बड़ा उदाहण ”आशा चढ़ी परवान“ है।
इस योजना का सीधा लाभ कुष्ठ पीड़ितों और उनके परिवारों को मिला जो बीमारी की वजह से
शहर से बाहर रह कर भिक्षावृत्ति कर पेट भरने को मजबूर थे। इनके इलाज के साथ, रोजगार
की व्यवस्था और आत्मनिर्भर बनाने के साथ सम्मानपूर्वक जीवनयापन की दिशा में आवश्यक
मूलभूत सुविधाएं सहित कल्याणकारी कदम उठाए गए हैं।
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