रायपुर, 28 दिसम्बर 2020/ पढ़ना लिखना अभियान अंतर्गत प्रदेश में
चिन्हांकित स्रोत व्यक्तियों के लिए तीन दिवसीय प्रशिक्षण का शुभारंभ हो गया है।
प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य स्रोत व्यक्तियों को प्रशिक्षित कर साक्षरता के
सूत्रधार स्वयंसेवी शिक्षक को जमीनी स्तर पर प्रशिक्षित किया जाना है। इस अभियान
में स्वयंसेवी शिक्षक असाक्षरों को साक्षर करने में नींव का पत्थर बनेंगे। इस
प्रशिक्षण में एससीएल के कर्मन खटकर व प्रीति सिंह व पढ़ना लिखना अभियान के नोडल
अधिकारी व सहायक संचालक राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण विशेष रूप से उपस्थिति थे।
उद्घाटन अवसर पर
राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण के सहायक संचालक एवं पढ़ना लिखना अभियान के नोडल
अधिकारी प्रशांत कुमार पाण्डेय ने बताया कि केन्द्र प्रवर्तित प्रौढ़ शिक्षा योजना
के तहत पढ़ना लिखना अभियान राज्य में प्रारंभ किया गया है। इस अभियान में अकादमिक
सहयोग राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् मेें गठित एससीएल के द्वारा
प्रदान किया जाएगा।
इस अभियान के
तहत केन्द्र,
राज्य, जिला हेतु सामान्य सभा एवं कार्यकारिणी समिति
के गठन से संबंधित जानकारी दी गई एवं विकासखण्ड व नगरीय साक्षरता मिशन समिति के
गठन की भी जानकारी से अवगत कराया गया। देश की नई शिक्षा नीति के तहत आगामी 5 वर्ष तक यह अभियान चलता रहेगा। आगामी 31 दिसंबर तक असाक्षरों को खोज कर वेब आधारित
डाटा एण्ट्री कार्य सतत् जारी है। असाक्षरों को साक्षर करने के लिए बुनियादी
साक्षरता प्रवेशिका आखर झांपी एवं स्वयंसेवी शिक्षकों को कक्षा संचालन हेतु
मार्गदर्शिका प्रदान की जाएगी।
अकादमिक सपोर्ट
हेतु एससीएल से डॉ. मंजीत कौर ने बताया कि शासन विभिन्न योजना को किसान, मजदूर एवं महिलाओं को ध्यान में रखकर ही
बनाते है। इन योजनाओं का लाभ पाने के लिए असाक्षरों का साक्षर होना अत्यंत आवश्यक
है। यदि वे साक्षर नहीं होंगे तो बहुत से योजनाओं के लाभ से वंचित रह जाते है।
उन्होंने आगे कहा कि मीडिया के सहयोग से इस अभियान को जन-जन तक अर्थात अंतिम
असाक्षर व्यक्ति तक ले जाना है। इस मौके पर डॉ. मंजीत कौर ने कहा कि हमे जमीनी
स्तर पर पहुंचकर कार्य करना होगा। उन्होंने प्रशिक्षण के फायदे बताते हुए कहा कि
प्रशिक्षण से हमें ज्ञान कौशल प्राप्त होने के साथ ही व्यवहार परिवर्तन का विकास
होता है। डॉ. कौर ने प्रौढ़ शिक्षा की विधि के अंतर्गत व्याख्यान, चर्चा, समूह चर्चा,
केस स्टडी, फिल्म विधि, रोल प्ले खेल,
अभ्यास विधि की
विस्तृत जानकारी दी गयी। इस संबंध में समझाते हुए बताया कि आप प्रशिक्षण लेकर
स्वयं सेवी शिक्षक के ज्ञान का मूल्यांकन करें तथा असाक्षरों को साक्षर करने में
सक्षम बन पाएंगे।
सुनील राय ने
प्रशिक्षण के प्रशिक्षण नियमावली से उपस्थित स्रोत व्यक्तियों को अवगत कराया।
राज्य साक्षरता मिशन से निधि अग्रवाल ने प्रशिक्षण पूर्व आंकलन को ऑनलाइन प्रपत्र
के माध्यम से लिंक आधारित की पूर्ण जानकारी प्रतिभागियों को दी। अग्रवाल ने
प्रशिक्षण से अपेक्षाएं सत्र में असाक्षरों को कैसे जोड़ा जाए, प्रौढ़ शिक्षार्थियों को कैसे पढ़ाया जाए, कोरोना काल में कक्षा कैसे संचालित करेंगे पर
अपेक्षाएं ऑनलाइन ली गई।
प्रशिक्षण की अगली
कड़ी में विनयशील ने वातावरण निर्माण पर चर्चा किया उन्होंने बताया कि किसी काम को
योजनाबद्ध तरीके से करने के लिए उसकी चुनौतियों को समझना होगा। प्रशिक्षण के घटक
बताते हुए जेण्डर समानता को साक्षरता अभियान से जोड़कर स्पष्ट किया गया।
स्वयंसेवी
शिक्षकों की भूमिका विषय पर चुन्नीलाल शर्मा ने बताया कि वालिंटियर्स इस अभियान की
रीड़ की हड्डी के समान है। स्वयंसेवी शिक्षक के द्वारा ही पठन-पाठन कराया जाएगा।
स्वयंसेवी शिक्षक नींव का पत्थर है। जो कि स्वेच्छा से पढ़ाना चाह रहे है उनका
स्वागत इस अभियान में है। वालिंटियर्स को कार्यक्रम के लक्ष्य का ज्ञान हो, परिस्थिति का ज्ञान, मृदुभाषी, संवदनशील व दृढ़ निश्चयी के साथ समन्वयवादी होना अति आवश्यक है।
धारा यादव सहायक
प्राध्यापक ने प्रौढ़ मनोविज्ञान पर पीपीटी के माध्यम से अपनी प्रस्तुतीकरण दी।
प्रथम दिवस को आयोजित प्रशिक्षण के अंतिम सत्र में प्रीति सिंह के द्वारा पढ़ना
लिखना अभियान के क्रियान्वयन में प्रशिक्षार्थियों की प्रतिक्रिया-फीडबैक लिया
गया।
प्रशिक्षण
कार्यक्रम में कर्मन खटकर,
प्रीति सिंह, राज्य साक्षरता केन्द्र रायपुर, प्रशांत कुमार पाण्डेय नोडल अधिकारी पढ़ना
लिखना अभियान,
चुन्नीलाल शर्मा, डॉ मंजीत कौर, विनयशील,
धारा यादव, राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण से निधि
अग्रवाल,
सुनील राय सहित
उपस्थित थे। प्रशिक्षण कार्यक्रम का संचालन नेहा शुक्ला के द्वारा किया गया।
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