रायपुर, राज्य सरकार की महत्वकांक्षी योजना नरवा, गरवा, घुरवा और बाड़ी के तहत गौठान प्रारंभ किए गए हैं। सुव्यवस्थित संचालन के लिए
गौठान समितियों को जिम्मेदारी दी गयी है। अब गौठान आजीविका केंद्र के रूप में
विकसित किए जा रहे है। स्थानीय स्व सहायता समूह को रोजगार मिलने से वे आर्थिक
समृद्धि की ओर अग्रसर हो रहे हैं। स्थानीय महिला स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने भी
गौठान से जुड़कर आर्थिक समृद्धि की ओर कदम बढ़ाया है। ऐसा ही एक गौठान जांजगीर-चांपा
जिले के बलौदा ब्लॉक के औराईकला गौठान में गांव के ही चार स्व-सहायता समूहो को काम
मिल रहा है। अब उन्हें काम के लिए बाहर जाने की आवश्यकता नही है। गौठान से जुड़े
समूहों को मिनी राईस मिल,
मशरूम उत्पादन, सब्जी-भाजी और जैविक खाद के माध्यम से रोजगार
का अवसर उपलब्ध हो रहे हैं।
औराईकला की जय
मां वैष्णो देवी महिला स्व सहायता समूह की अध्यक्ष पार्वती साहू ने बताया कि जैविक
पद्धति से खाद तैयार कर सोसायटी को अब तक गौठान के माध्यम से 48 क्विंटल जैविक खाद 8 रूपए प्रति किलो की दर से दे चुके हैं। इससे
स्व सहायता समूह के सदस्यों को लाभ मिला है। उन्होंने बताया कि प्रथम बार उन्होंने
40
क्विंटल जैविक
खाद उद्यानिकी विभाग को सहकारी सोसायटी के माध्यम से बेचा था। आज कृषि विभाग के
माध्यम से 8
क्विंटल जैविक
खाद बेचा है। बेचे गए जैविक खाद की राशि सोसायटी के द्वारा समिति के बैंक अकाउंट
में भुगतान की जाती है। श्रीमती साहू ने बताया कि उनकी समिति 8 वर्ष पुरानी है। गौठान प्रारंभ होने से अब
उन्हें काम के लिए बाहर जाने की आवश्यकता नहीं है। उन्हें जैविक खाद तैयार करने के
लिए गौठान से ही गोबर मिल जाता है। शासन की योजना के तहत केंचुआ भी उपलब्ध कराया
गया है एवं समूह के सदस्यों को प्रशिक्षण भी दिया गया है। गौठान परिसर में ही
वर्मी टांका व वर्मी बेड तैयार किया गया है। समूह के सदस्यों में लाभ मिलने से
उत्साह का माहौल है।
इसी गौठान से
जुड़े मिनीमाता महिला स्व सहायता समूह के सदस्यों ने चरागाह परिसर पर सब्जी-भाजी
लगाया है। इससे उन्हें आर्थिक लाभ मिलना शुरू हो गया है। समूह की अध्यक्ष बहोरीन
बाई ने बताया कि वे अभी लाल भाजी, पालक भाजी,
गोभी, मूली आदि लगाए हैं। इसके बाद बाद वे धनिया, भिंडी,
लौकी, मेथी, खीरा भी लगाएंगे। वे स्थानीय बाजार एवं समीप के शहरों से को सब्जी भाजी की
सप्लाई कर रहे हैं। पिछले फसल में सब्जी भाजी का मूल्य कम होने के कारण केवल लागत
और समूह के सदस्यों को मजदूरी मिल गई थी। इस मौसम में सब्जी भाजी की कीमत अच्छी
मिलने से और अधिक लाभ मिल रहा है।
जय मां संतोषी
महिला स्व सहायता समूह के सदस्य उमा पटेल ने बताया कि मशरूम उत्पादन के लिए गौठान
परिसर में ही स्थान दिया गया है। निःशुल्क प्रशिक्षण भी प्राप्त कर चुके हैं। वह
अब मशरूम उत्पादन की तैयारी में लगे हुए हैं। इसी प्रकार गौठान से जुड़े एक अन्य समूह
को सरकार की योजना के तहत मिनी राइस मिल अभी कुछ दिन पहले ही उपलब्ध कराया गया है।
जिससे अति शीघ्र प्रारंभ किया जाएगा।
0 Comments